- ‘विवाद समाधान समिति’ क्या है ?
विवाद समाधान समिति (इसके बाद 'डी.आर.सी.' के रूप में संदर्भित) आयकर अधिनियम,1961 की धारा 245MA के प्रावधानों के अनुसार आयकर नियम,1962 के नियम 44DAA के साथ पठित, केन्द्र सरकार द्वारा गठित एक समिति है। डी.आर.सी., सी.आई.टी. (अपील) के समक्ष लंबित/अभी तक फ़ाइल नहीं किए जाने वाले मामलों के लिए नियमित अपील कार्यवाही का एक विकल्प है।
- डी.आर.सी. से कौन संपर्क कर सकता है?
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 245MA(5) तथा आयकर नियम, 1962 के नियम 44DAD के अनुसार आयकर अधिनियम, 1961 में 'निर्दिष्ट व्यक्ति' के रूप में परिभाषित करदाता फ़ॉर्म 34BC फ़ाइल करके डी.आर.सी. से संपर्क कर सकता है।
- 'निर्दिष्ट व्यक्ति' जो विवाद समाधान योजना (इसके बाद ‘ई-डी.आर.एस.’ के रूप में संदर्भित) का लाभ उठा सकता है।
(I) 'निर्दिष्ट व्यक्ति' से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 245MA(5) के साथ पठित आयकर नियम, 1962 के नियम 44DAD के अनुसार उल्लिखित शर्तों को पूरा करता है, जो निम्नानुसार हैं:
- वह ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके संबंध में विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियां निवारण अधिनियम, 1974 के तहत हिरासत का आदेश दिया गया हो।
बशर्ते कि—
(i) ऐसा निरोध आदेश, जो ऐसा आदेश है जिस पर उक्त अधिनियम की धारा-9 या धारा-12A के उपबंध लागू नहीं होते, उक्त अधिनियम की धारा-8 के अधीन सलाहकार बोर्ड की रिपोर्ट पर या सलाहकार बोर्ड की रिपोर्ट की प्राप्ति से पूर्व प्रतिसंहृत कर लिया गया है; या
(ii) ऐसा निरोध आदेश, जो ऐसा आदेश है, जिस पर उक्त अधिनियम की धारा-9 के उपबंध लागू होते हैं, उक्त अधिनियम की धारा-9 की उप-धारा (3) के अधीन पुनर्विलोकन के लिए समय की समाप्ति से पूर्व या उसके आधार पर या धारा-9 की उपधारा (2) के साथ पठित धारा-8 के अधीन सलाहकार बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर वापस नहीं लिया गया है; या
(iii) ऐसा निरोध आदेश, जो ऐसा आदेश है जिस पर उक्त अधिनियम की धारा-12A के उपबंध लागू होते हैं, उक्त धारा की उपधारा (3) के अधीन प्रथम पुनर्विलोकन के लिए समय की समाप्ति से पूर्व या उसके आधार पर या उक्त अधिनियम की धारा-12A की उपधारा (6) के साथ पठित धारा-8 के अधीन सलाहकार बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर वापस नहीं लिया गया है; या
(iv) हिरासत के ऐसे आदेश को सक्षम न्यायालय द्वारा रद्द नहीं किया गया है;
- वह ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके विरुद्ध अभियोजन चलाया गया हो और जिसे निम्नलिखित अधिनियमों के अंतर्गत दंडनीय किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो:
- भारतीय दंड संहिता, (1860 का 45)
- गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (1967 का 37)
- स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985(1985 का 61)
- बेनामी लेनदेन प्रतिषेध अधिनियम, 1988(1988 का 45)
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988(1988 का 49) या
- धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (2003 का 15)
- वह ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके संबंध में अधिनियम या भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) के प्रावधानों के तहत दंडनीय किसी भी अपराध के लिए या किसी भी समय लागू कानून के तहत किसी भी नागरिक दायित्व के प्रवर्तन के प्रयोजन के लिए आयकर प्राधिकरण द्वारा अभियोजन शुरू किया गया है, या ऐसे व्यक्ति को आयकर प्राधिकरण द्वारा शुरू किए गए अभियोजन के परिणामस्वरूप किसी भी ऐसे अपराध का दोषी ठहराया गया है।
- वह ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसे आयकर प्राधिकारी द्वारा शुरू किए गए अभियोजन के परिणामस्वरूप किसी ऐसे अपराध का दोषी ठहराया गया हो;
- वह विशेष न्यायालय (प्रतिभूतियों में लेनदेन से संबंधित अपराधों का परीक्षण) अधिनियम, 1992 (1992 का 27) की धारा 3 के तहत अधिसूचित नहीं है;
- वह ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके संबंध में काले धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिनियम, 2015 के तहत कार्यवाही उस निर्धारण वर्ष के लिए शुरू की गई है जिसके लिए आयकर नियम, 1962 के नियम 44DAD के अनुसार विवाद का समाधान मांगा गया है।
(II) ऐसी अन्य शर्तें, जो निर्धारित की जा सकेंगी।
- निर्दिष्ट आदेशों के विरुद्ध डीआरसी के समक्ष आवेदन फ़ाइल करने की क्या शर्तें हैं?
करदाता निर्दिष्ट आदेशों के विरुद्ध फ़ॉर्म 34BC फ़ाइल करके डी.आर.सी. से संपर्क कर सकते हैं, केवल तभी जब निम्नलिखित शर्तें पूरी हों:
- ऐसे आदेश में प्रस्तावित या किए गए परिवर्तनों/परिवर्धनों की कुल राशि 10 लाख रुपये से अधिक नहीं होगी;
- ऐसे आदेश से संबंधित कर निर्धारण वर्ष के लिए करदाता द्वारा विवरणी प्रस्तुत की गई है, और ऐसी विवरणी के अनुसार कुल आय 50 लाख रुपये से अधिक नहीं है; और
- आदेश धारा 132 के तहत शुरू की गई तलाशी, धारा 132A के तहत अधिग्रहण, धारा 133A के तहत सर्वेक्षण पर आधारित नहीं है या
यह आदेश धारा 90 या धारा 90A में निर्दिष्ट किसी समझौते के तहत प्राप्त सूचना पर आधारित नहीं है।- जहां 10 लाख की राशि का जोड़ स्रोत पर कर (टी.डी.एस./टी.सी.एस.) की कटौती या संग्रहण में चूक से संबंधित है, यह वह राशि होगी जिस पर उस व्यक्ति द्वारा कर नहीं काटा गया है या संग्रहित नहीं किया गया है जिसे टी.डी.एस. काटना या संग्रहित करना था।
- नियम 44DAD के अनुसार वे ‘निर्दिष्ट आदेश’ क्या हैं जिनके विरुद्ध करदाता डी.आर.सी. से संपर्क कर सकते हैं?
निम्नलिखित आदेशों ('निर्दिष्ट आदेश') के संबंध में डी.आर.सी. में आवेदन फ़ाइल किया जा सकता है।
- निर्धारण से संबंधित आदेश
करदाता कर निर्धारण से संबंधित निम्नलिखित आदेशों के विरुद्ध डी.आर.सी. से संपर्क कर सकता है:
- धारा 144C(1) में निर्दिष्ट प्रारूप निर्धारण आदेश;
- धारा 143(1) के तहत सूचना, जहां करदाता उक्त आदेश में किए गए समायोजन पर आपत्ति करता है;
- निर्धारण या पुननिर्धारण का आदेश, विवाद समाधान पैनल के निर्देशों के अनुसरण में पारित आदेश को छोड़कर; या
- धारा 154 के तहत किया गया आदेश जिसका प्रभाव निर्धारण को बढ़ाने या हानि को कम करने का होगा।
- टी.डी.एस./टी.सी.एस. से संबंधित मामले
करदाता टी.डी.एस./टी.सी.एस. मामलों से संबंधित निम्नलिखित आदेशों के विरुद्ध डी.आर.सी. से संपर्क कर सकता है:
(a) धारा 200A(1) के तहत = सूचना, जहां कटौतीकर्ता उक्त आदेश में किए गए समायोजनों पर आपत्ति करता है;
(b) धारा 206CB(1) के तहत सूचना, जहां कलेक्टर उक्त आदेश में किए गए समायोजन पर आपत्ति करता है;
(c) धारा 201 के तहत किया गया आदेश या धारा 206C(6A) के तहत किया गया आदेश
- करदाताओं को डी.आर.सी. से संपर्क क्यों करना चाहिए?
सी.बी.डी.टी. अधिसूचना संख्या एस.ओ. 1642(E), दिनांक 05.04.2022 द्वारा अधिसूचित योजना के अनुसार, करदाता करों के भुगतान के बाद अभियोजन से छूट और जुर्माने में छूट/कमी पाने के लिए और अपील के समय पर निपटान के लिए डी.आर.सी. से संपर्क कर सकते हैं।
- डी.आर.सी. की शक्तियां क्या हैं?
डी.आर.सी. की शक्तियां ई-डी.आर.एस., 2022 के पैरा 5(1) में दी गई हैं जो इस प्रकार हैं:
(1) विवाद समाधान समिति को नियम 44DAC में दी गई शर्तों को पूरा करने पर अधिनियम के प्रावधानों के तहत जुर्माना माफ करने या अभियोजन से उन्मुक्ति प्रदान करने की शक्ति होगी।
(2) विवाद समाधान समिति के समक्ष कोई कार्यवाही भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 193 और 228 के अनुसार तथा धारा 196 के प्रयोजनों के लिए न्यायिक कार्यवाही समझी जाएगी और प्रत्येक आयकर प्राधिकारी धारा 195 के प्रयोजनों के लिए सिविल न्यायालय समझा जाएगा, किन्तु दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के अध्याय XXVI के प्रयोजनों के लिए नहीं।
(3) यदि विवाद समाधान समिति के किसी आदेश को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है, तो वह स्वप्रेरणा से या करदाता के आवेदन पर या प्रधान आयकर आयुक्त या आयकर आयुक्त के माध्यम से कर निर्धारण अधिकारी के अनुरोध पर, जैसा भी मामला हो, कठिनाई को दूर कर सकता है, यह देखते हुए कि यह अधिनियम के प्रावधानों के साथ असंगत नहीं है।
- क्या डी.आर.सी. कार्यवाही समाप्त कर सकता है?
डी.आर.सी. कार्यवाही के दौरान किसी भी स्तर पर कार्यवाही को समाप्त करने का निर्णय ले सकती है, यदि:
(i) करदाता कार्यवाही के दौरान सहयोग करने में विफल रहता है।
(ii) करदाता किसी नोटिस का जवाब देने या उसके प्रत्युत्तर में कोई सूचना प्रस्तुत करने में विफल रहता है।
(iii) समिति इस बात से संतुष्ट है कि करदाता ने कार्यवाही से संबंधित कोई विशेष सामग्री छिपाई है या झूठे साक्ष्य दिए हैं।
(iv) करदाता योजना के पैराग्राफ 4 के उप पैरा (1) के खंड xviii में अपेक्षित माँग का भुगतान करने में विफल रहता है।
- डी.आर.सी. के समक्ष आवेदन कैसे दायर करें?
निर्दिष्ट आदेश में किसी भी परिवर्तन से उत्पन्न विवाद के संबंध में डी.आर.सी. को फ़ॉर्म संख्या 34BC में इलेक्ट्रॉनिक रूप से आवेदन किया जाएगा। ऐसे आवेदन के साथ आयकर नियम, 1962 के नियम 44DAB के अनुसार 1,000 रुपये का शुल्क संलग्न करना होगा। फ़ॉर्म 34BC फ़ाइल करने के चरण निम्नानुसार हैं:
चरण 1: क्लिक करें - आयकर पोर्टल www.eportal.incometax.gov.in पर लॉगइन करें
चरण 2: क्लिक करें - उपयोगकर्ता आई.डी.के रूप में पैन / टैन का उपयोग करना
चरण 3: क्लिक करें - आयकर फ़ॉर्म ई-फ़ाइल करने के लिए नेविगेट करें
चरण 4: क्लिक करें- आयकर फ़ॉर्म भरें और 'किसी भी आय स्रोत पर आश्रित न होने वाले व्यक्ति (आय स्रोत प्रासंगिक नहीं है)' टैब के अंतर्गत -> कुछ मामलों में विवाद समाधान समिति (फ़ॉर्म 34BC) का चयन करें
चरण 5: क्लिक करें- फ़ॉर्म संख्या 34BC भरें (जैसा लागू हो, संलग्नक प्रदान करें) और ई-फ़ाईलिंग पोर्टल पर उपलब्ध स्व-घोषणा भरें और अपेक्षित शुल्क का भुगतान करें।
चरण 6: पूर्वावलोकन स्क्रीन पर ब्योरे की समीक्षा करें और फ़ॉर्म को ई-सत्यापित करने की ओर बढ़ें और जांचें कि क्या सभी ब्योरा सही ढंग से भरा गया हैं।
चरण 7: करदाता आधार ओ.टी.पी., ई.वी.सी. या डी.एस.सी. का उपयोग करके फ़ॉर्म संख्या34BC का ई-सत्यापन करेगा।
चरण 8: संलग्नक और स्व-घोषणा के साथ फॉर्म संख्या 34BC को सफलतापूर्वक फ़ाइल करने के बाद, क्षेत्राधिकार प्राधिकारी ई-कार्यवाही के माध्यम से करदाता से प्रासंगिक दस्तावेज मांगेगा।
- फ़ॉर्म 34BC कौन फ़ाइल कर सकता है?
कोई भी करदाता जो निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करता है (कृपया ऊपर प्रश्न सं. 4 देखें), किसी भी निर्दिष्ट आदेश के संबंध में (कृपया प्रश्न सं.5 देखें) विवाद समाधान समिति को आवेदन फ़ाइल कर सकता है।
- फ़ॉर्म 34BC किस प्रकार फ़ाइल किया जा सकता है?
फ़ॉर्म 34BC केवल ई-फ़ाईलिंग पोर्टल पर ऑनलाइन फ़ाइल किया जा सकता है।
- फ़ॉर्म 34BC का ई-सत्यापन कैसे किया जा सकता है?
करदाता आधार ओ.टी.पी., ई.वी.सी. या डी.एस.सी. का उपयोग करके फ़ॉर्म 34BC को ई-सत्यापित कर सकता है। अधिक जानकारी के लिए आप “ई-सत्यापन कैसे करें” उपयोगकर्ता पुस्तिका देख सकते हैं।
- डी.आर.सी. के समक्ष फ़ॉर्म फ़ाइल करने के लिए आवेदन शुल्क क्या है?
करदाता को फ़ॉर्म 34BC फ़ाइल करने के लिए ई-पे कर कार्यक्षमता के माध्यम से आवेदन शुल्क के रूप में 1,000 रुपये का भुगतान करना आवश्यक है।
- ई-पे कर कार्यविधि के माध्यम से आवेदन शुल्क का भुगतान कैसे करें?
आवेदन शुल्क का भुगतान ई-फ़ाईलिंग पोर्टल पर उपलब्ध ई-पे कर कार्यक्षमता के माध्यम से किया जाएगा:
- पैन उपयोगकर्ता के लिए: ई-पे -----> 'शुल्क/अन्य भुगतान' टाइल -----> मुख्य शीर्ष - 'विविध प्राप्तियां (0075) -----> लघु शीर्ष - 'अन्य विविध प्राप्तियां (800)' -----> भुगतान का उपप्रकार - "14-धारा 245MA के तहत आवेदन शुल्क"
- टैन उपयोगकर्ता के लिए: ई-पे -----> 'विविध प्राप्तियां' टाइल -----> मुख्य शीर्ष - 'विविध प्राप्तियां (0075) -----> लघु शीर्ष - 'अन्य विविध प्राप्तियां (800)' -----> भुगतान का उपप्रकार - "14-धारा 245MA के तहत आवेदन शुल्क"
- क्या फ़ॉर्म 34BC के लिए कोई अनिवार्य संलग्नक आवश्यक है?
हाँ, फ़ॉर्म 34BC में अनिवार्य रूप से ‘करदाता द्वारा भरोसा किए गए दस्तावेजी साक्ष्य’ और ‘आवेदन के आधार’ संलग्न करना आवश्यक है। इसके अलावा, करदाता को फ़ॉर्म 34BC के साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करने होंगे:
- ए.ओ./ड्राफ़्ट ऑर्डर द्वारा आदेश/सूचना की प्रति
- मांग सूचना, यदि कोई हो
- आवेदन शुल्क के भुगतान का प्रमाण
- वापस की गई आय पर कर भुगतान का प्रमाण।
- आवेदन के आधार
- यदि फ़ॉर्म 34BC जमा करने में त्रुटि हो और “अमान्य इनपुट” या “सबमिशन विफल” संदेश दिखाई दे तो करदाता को क्या करना चाहिए?
फ़ॉर्म 34BC फ़ाइल करने से पहले, “मेरी प्रोफ़ाइल” के अंतर्गत “संपर्क ब्यौरा” (या व्यक्तिगत करदाता के अलावा अन्य के मामले में “मुख्य व्यक्ति का ब्यौरा”) जैसे प्रोफ़ाइल ब्योरा अपडेट किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी अनिवार्य फ़ील्ड भरे गए हैं।
- क्या फ़ॉर्म 34BC के लिए संशोधन कार्यक्षमता उपलब्ध है?
नहीं, एक बार फ़ाइल किए गए फ़ॉर्म 34BC को संशोधित नहीं किया जा सकता।
- फ़ॉर्म 34BC फ़ाइल करने के बाद फ़ाइल किए गए फ़ॉर्म का ब्यौरा कहां देखें/डाउनलोड करें?
फ़ाइल किए गए फ़ॉर्म 34BC का ब्यौरा ई-फाइल टैब ----> आयकर फ़ॉर्म ----> दाखिल किए गए फ़ॉर्म देखें ----> 34BC के अंतर्गत देखा/डाउनलोड किया जा सकता है।
- क्या फ़ॉर्म 34BC फ़ाइल करने के बाद करदाता को कोई सूचना मिलेगी?
हाँ, फ़ॉर्म 34BC सफलतापूर्वक फ़ाइल करने के बाद करदाता को एस.एम.एस. और ई-मेल संचार भेजा जाएगा।
- यदि करदाता फ़ाइल किए गए फ़ॉर्म का ब्यौरा नहीं देख पा रहा है या फ़ॉर्म 34BC फ़ाइल करने के संबंध में कोई सूचना प्राप्त नहीं कर पा रहा है तो उसे क्या करना चाहिए?
ऐसे किसी भी मुद्दे के लिए, प्रासंगिक ए.आर.एन. रसीद, पावती संख्या या किसी अन्य प्रासंगिक अनुलग्नक के साथ “शिकायत” टैब के अंतर्गत शिकायत दर्ज की जा सकती है।
- डी.आर.सी. के समक्ष आवेदन करने की समय सीमा क्या है?
ई-डी.आर.एस. के लिए आवेदन आयकर विभाग के ई-फ़ाईलिंग पोर्टल पर नियम 44DAB में संदर्भित फ़ॉर्म संख्या 34BC में फ़ाइल किया जाना है:
- ऐसे मामलों में जहां सी.आई.टी. (अपील) के समक्ष अपील अभी तक नहीं भरी गई है, निर्दिष्ट आदेश की प्राप्ति की तिथि से एक महीने के भीतर।
- ऐसे मामलों में जहां अपील पहले ही फ़ाइल की जा चुकी है और आय-कर आयुक्त (अपील) के समक्ष लंबित है, ई-डी.आर.एस. के लिए आवेदन 30.09.2024 को या उससे पहले फ़ाइल किया जाना है।
- ऐसे मामलों में जहां निर्दिष्ट आदेश 31.08.2024 को या उससे पहले पारित किया गया है और सी.आई.टी. (अपील) के समक्ष ऐसे आदेश के लिए अपील फ़ाइल करने का समय समाप्त नहीं हुआ है, विवाद समाधान के लिए आवेदन 30.09.2024 को या उससे पहले फ़ाइल किया जा सकता है।
- करदाता को कैसे पता चलेगा कि फ़ॉर्म 34BC के तहत उसका आवेदन स्वीकार किया गया है या अस्वीकार?
नामित विवाद समाधान समिति के समक्ष फ़ॉर्म 34BC को सफलतापूर्वक प्रस्तुत करने के बाद, करदाता को उसके पंजीकृत ई-मेल पते पर तथा फ़ॉर्म 34BC के बिंदु 12 पर चयनित ई-मेल पर तथा ई-फ़ाईलिंग पोर्टल पर ई-कार्यवाही के तहत फ़ॉर्म प्राप्त होगा।
करदाता को निम्नलिखित के लिए संचार प्राप्त होगा:
- यदि आवेदन जमा करने के बाद आवेदन में कोई कमी पाई जाती है तो एक कमी पत्र जारी किया जाएगा जिसमें करदाता को कमी को दूर करने के लिए कहा जाएगा।
- आवेदन स्वीकार करने वाला पत्र।
- एक पत्र जिसमें करदाता से यह पूछा गया हो कि उसका आवेदन क्यों न अस्वीकार कर दिया जाए, तथा प्रस्तावित अस्वीकृति के लिए कारण भी दिए गए हों।
- करदाता अपने आवेदन में कमी को कैसे दूर करेगा?
करदाता ई-फ़ाईलिंग पोर्टल पर ई-कार्यवाही के तहत जवाब देकर कमी को दूर कर सकता है। करदाता ‘सबमिट रिस्पांस बटन’ के माध्यम से डी.आर.सी. को आवश्यक दस्तावेज/सूचना भेज सकते हैं।
- डी.आर.सी. द्वारा आवेदन अस्वीकार किए जाने के बाद 'लंबित अपील' का क्या होगा अथवा यदि डी.आर.सी. में आने से पहले सी.आई.टी. (अपील) के समक्ष कोई अपील फ़ाइल नहीं की गई है?
- यदि करदाता ने डी.आर.सी. के समक्ष जाने से पहले सी.आई.टी. (अपील) के समक्ष अपील फ़ाइल कर दी है, तो डी.आर.सी. द्वारा फ़ॉर्म 34BC में आवेदन स्वीकार किए जाने के बाद, लंबित अपील की कार्यवाही निलंबित/समाप्त कर दी जाएगी, यदि आवेदन डी.आर.सी. द्वारा खारिज कर दिया जाता है तो करदाता सी.आई.टी. (अपील) के समक्ष पहले से फ़ाइल की गई अपनी अपील को आगे बढ़ा सकता है;
- यदि करदाता ने निर्दिष्ट आदेशों के विरुद्ध सीधे डी.आर.सी. से संपर्क किया है, तो डी.आर.सी. द्वारा उसकी अपील खारिज होने के बाद, उसे सी.आई.टी. (अपील) के समक्ष एक नई अपील फ़ाइल करनी होगी।
- डीआरसी से यह सूचना मिलने के बाद कि उसका आवेदन डी.आर.सी. द्वारा स्वीकार कर लिया गया है, करदाता को क्या करना चाहिए?
करदाता को सी.आई.टी. (अपील) के समक्ष फ़ाइल अपील को वापस लेने का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा अथवा यह बताना होगा कि उसके मामले में कोई अपील कार्यवाही लंबित नहीं है, डी.आर.सी. से आवेदन स्वीकार किए जाने की सूचना प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर।
- अधिनियम की धारा 246A के तहत फ़ाइल की गई अपील या विवाद समाधान समिति के समक्ष आवेदन वापस लेने का प्रमाण क्या है?
सी.आई.टी. (अपील) को लिखे गए अनुरोध पत्र की प्रति पर्याप्त प्रमाण है।
- यदि करदाता का आवेदन डी.आर.सी. द्वारा अस्वीकार कर दिया जाए तो क्या होगा?
डी.आर.सी. द्वारा आवेदन अस्वीकार किए जाने की स्थिति में, करदाता सी.आई.टी. (अपील) के समक्ष अपील दायर कर सकता है और डी.आर.सी. द्वारा प्रवेश पर निर्णय लेने में लिया गया समय अवधि ऐसी अपील फ़ाइल करने के लिए उपलब्ध अवधि से बाहर रखा जाएगा। यदि अपील पहले ही सी.आई.टी. (अपील) के समक्ष फ़ाइल की जा चुकी है, तो डी.आर.सी. को आवेदन फ़ाइल करने से पहले, करदाता सी.आई.टी. (अपील) के समक्ष अपनी लंबित अपील को आगे बढ़ा सकता है।
- डी.आर.सी. द्वारा आवेदन स्वीकार कर लिए जाने की स्थिति में सी.आई.टी. (अपील) के समक्ष फ़ाइल की गई मूल अपील का क्या होगा?
सी.आई.टी. (अपील) डी.आर.सी. कार्यवाही के समापन के बाद लंबित अपील पर ‘वापस ली गई अपील को खारिज’ करने का आदेश पारित करेगा।
- डी.आर.सी. के समक्ष कार्यवाही किस प्रकार आगे बढ़ेगी?
करदाता को डी.आर.सी. से सभी संचार ई-फ़ाईलिंग पोर्टल पर ई-कार्यवाही टैब के माध्यम से और उसके पंजीकृत ई-मेल आई.डी. और फॉर्म 34BC के बिंदु 12 में उसके द्वारा उल्लिखित ई-मेल आई.डी. पर प्राप्त होंगे।
- क्या करदाता डी.आर.सी. कार्यवाही के दौरान अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं?
हाँ, वह डी.आर.सी. कार्यवाही के दौरान अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य भी फ़ाइल कर सकते हैं।
- क्या करदाता डी.आर.सी. के समक्ष व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर प्राप्त कर सकते हैं?
कोई व्यक्तिगत सुनवाई नहीं की जाएगी। करदाता अपना जवाब केवल ई-फ़ाईलिंग पोर्टल पर ई-कार्यवाही के माध्यम से प्रस्तुत कर सकते हैं। लेकिन वह वीडियो टेलीफोनी या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के माध्यम से सुनवाई की मांग कर सकते हैं। वीडियो सुनवाई वेबएक्स, गूगल मीट आदि के माध्यम से की जा सकती है।
- क्या डी.आर.सी. द्वारा कार्यवाही पूरी करने के लिए कोई समय सीमा है?
हाँ, डी.आर.सी. उस महीने के अंत से छह महीने के भीतर आदेश पारित करेगा [डी.आर.एस.,2022 का पैरा 4(1)(xv)] जिसमें डी.आर.सी. द्वारा आवेदन स्वीकार किया गया था।
- डी.आर.सी. द्वारा किस प्रकार के आदेश पारित किये जाते हैं?
डी.आर.सी. तीन प्रकार के आदेश पारित कर सकता है। वे इस प्रकार हैं:
(i) निर्दिष्ट आदेश में संशोधन/परिवर्तन करना
(ii) नियम 44DAC के अनुसार दंड में छूट/कमी तथा अभियोजन से उन्मुक्ति के लिए निर्णय लेना
(iii) निर्दिष्ट आदेश में संशोधन/परिवर्तन नहीं करना
- करदाता को कैसे पता चलेगा कि विवाद समाधान समिति के समक्ष कार्यवाही समाप्त हो गई है?
विवाद समाधान समिति, आवेदन के निपटान के लिए प्रस्ताव/आदेश की एक प्रति, जैसा भी मामला हो, करदाता के मेल पर तथा क्षेत्राधिकार निर्धारण अधिकारी को भी प्रभावी करने के लिए भेजेगी। इसके अलावा, फ़ाइल किए गए फ़ॉर्म 34BC के विरुद्ध आदेश को ई-फ़ाईलिंग खाते में लॉग इन करके देखा जा सकता है, लंबित कार्यवाही -----> ई-कार्यवाही ----> आपकी जानकारी के लिए टैब पर जाएं
- डी.आर.सी. द्वारा पारित आदेश की प्राप्ति पर क्षेत्राधिकार निर्धारण अधिकारी द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया।
क्षेत्राधिकार निर्धारण अधिकारी (जे.ए.ओ.) डी.आर.सी. के निर्देशों के मद्देनजर संशोधित आदेश की एक प्रति करदाता को मांग के नोटिस के साथ भेजेगा, जिसमें भुगतान किए जाने की तिथि निर्दिष्ट होगी।
- मांग के भुगतान के बाद करदाता क्या करेगा?
करदाता को मांग के भुगतान का प्रमाण डी.आर.सी. तथा क्षेत्राधिकार निर्धारण अधिकारी को प्रस्तुत करना होगा। मांग के भुगतान की पुष्टि प्राप्त होने पर डी.आर.सी. लिखित आदेश द्वारा अभियोजन से उन्मुक्ति प्रदान करता है तथा यदि लागू हो तो जुर्माने में छूट/कमी प्रदान करता है।
- क्या संशोधित आदेश के विरुद्ध अपील या पुनरीक्षण की अनुमति है?
डी.आर.सी. के समाधान के आदेश को प्रभावी करने के लिए मूल्यांकन अधिकारी द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध कोई अपील या पुनरीक्षण नहीं किया जा सकेगा।
- क्या करदाता डी.आर.सी. के आदेश से संतुष्ट न होने पर सी.आई.टी. (अपील) के पास वापस जा सकता है?
नहीं, डी.आर.सी. द्वारा आवेदन स्वीकार कर लिए जाने के बाद वह सी.आई.टी. (अपील) के पास वापस नहीं जा सकता।
- क्या करदाता अपनी ओर से फ़ॉर्म 34BC फ़ाइल करने के लिए किसी अधिकृत प्रतिनिधि को जोड़ सकता है?
हाँ, करदाता अपनी ओर से फ़ॉर्म 34BC फ़ाइल करने के लिए एक अधिकृत प्रतिनिधि को जोड़ सकता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया ‘प्रतिनिधि के रूप में अधिकृत/पंजीकृत उपयोगकर्ता मैनुअल’ देखें।
- यदि डी.आर.सी. जुर्माने में छूट/कटौती प्रदान कर दे तो क्या होगा?
ऐसे मामले में फेसलेस पेनल्टी यूनिट के पास लंबित जुर्माना क्षेत्राधिकार निर्धारण अधिकारी को स्थानांतरित कर दिया जाएगा। जुर्माना कार्यवाही के हस्तांतरण के बाद, क्षेत्राधिकार निर्धारण अधिकारी जुर्माना माफ करने/कटौती देने संबंधी डी.आर.सी. आदेश को प्रभावी करते हुए एक उचित आदेश पारित करेगा।